Motions

Quarterfinals

  • 1
    1) दार्शनिकों के सदन का मत हैं कि " निर्विचार अवलोकन" करने की क्षमता मानवीय विवेक की पराकाष्ठा है।
  • 2
    स्व परिचय के संदर्भ में रचनाशील होने के प्रयास अंततः आत्मिक द्वंद को जन्म देती हैं।
  • 3
    दार्शनिकों के सदन का मत हैं कि अस्तित्ववाद मानव की सत्य के संदर्भ में अनुभूति को सतही बनाने का कार्य करता हैं।
  • Round 5

  • 1
    समाजशास्त्रियों का यह सदन इन पंक्तियों को मानवीय विकास की चाहत के लिए गलत मानता है।
  • 2
    राजनीति शास्त्रियों के सदन का मत हैं कि दार्शनिक राजा द्वारा संचालित राज्य कभी प्रगति के अधिकतम स्तर को प्राप्त नहीं कर सकता।
  • 3
    बुद्धिजीवियों के सदन का मत है कि मनुष्य इस मामले में बेगारी/दासत्व का अभ्यास कर रहे हैं।
  • Round 4

  • 1
    तत्कालीन महात्मा गाँधी के मन का सदन, रीडिंग की बात को आधार मानते हुए अलीबंधुओं के खिलाफत आंदोलन से अपने आंदोलन के संबंध समाप्त कर देगा।
  • 2
    बुद्धिजीवियों का यह सदन अमूर्त इतिहास के विश्लेषण के दृष्टिकोण से "वर्तमान समाज" को प्रामाणिकता के पैमाने पर उत्तम मानता हैं।
  • 3
    रज़िया के मन का सदन याकूत को उसके पद से निरस्त करेगा।
  • Round 3

  • 1
    नार्सिसस की मृत्यु उसके प्रतिबिंब ने नहीं अपितु उसके प्रशंसकों द्वारा हुई।
  • 2
    समाजशास्त्रियों का यह सदन आदर्श सामाजिक मार्गदर्शन हेतु कथन (ख) पर आधारित ईश्वर की परिकल्पना को कथन (क) आधारित ईश्वर की परिकल्पना पर वरीयता देगा।
  • 3
    प्रह्लाद के मन का सदन अब श्रीविष्णु को पिता तुल्य नहीं मानेगा।
  • Round 2

  • 1
    बुद्धिजीवियों के सदन का मत हैं कि आधुनिक नौकरशाही समाज में "बनालिटी ऑफ इविल" पर आधारित आचरण, प्रकट तानशाही की अपेक्षा अधिक गंभीर खतरा हैं।
  • 2
    बुद्धिजीवियों का यह सदन कथन (१ )पर आधारित राष्ट्रवाद के विचार को कथन( २ )पर आधारित राष्ट्रवाद के विचार पर वरीयता देगा।
  • 3
    जनता दल यूनाइटेड के नेताओं के मन का सदन नीतीश कुमार को पार्टी के अध्यक्ष पद से हटाएगा।
  • Round 1

  • 1
    समाजशास्त्रियों के सदन का मत हैं कि समाज की वस्तुनिष्ठता की तुलना में समाज की वास्तुपरखता निर्धारित करनें में मानव मृत्यु की भूमिका अधिक निर्णायक है।
  • 2
    समाजशास्त्रियों के सदन का मत हैं कि एकल व्यक्तित्व का विचार एक सामाजिक भ्रांति है, जिसका उद्देश्य कार्यात्मक स्थिरता को बनाए रखना है।
  • 3
    समाजशास्त्रियों के सदन का मत हैं कि मनुष्य द्वारा सामाजिक संघर्ष का स्वैच्छिक परित्याग किया जाना उसकी विवशता का प्रतिबिंब  हैं।