1) संदर्भ: मानव समाज की सूक्ष्मतम इकाई हैं एवं मनुष्यों के संदर्भ में मृत्यु एक अपरिहार्य सत्य है। मानव की मृत्यु सामाजिक संरचना को दो प्रकार से परिभाषित कर पाने में सक्षम हैं । जो कि इस प्रकार है:
क) मृत्यु के कारण सामाजिक संबंधों में उत्पन्न विक्षोभ से बचाव हेतु समाज पहले से ही वस्तुनिष्ठ विचारों का निर्माण करता है ताकि जब सामाजिक भूमिकाओं का एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हस्तांतरण हो तब सामाजिक व्यवस्था यथास्थिति बनी रहे।
ख) मृत्यु के कारण हुए सामाजिक भूमिकाओं में परिवर्तन के फलस्वरूप नए विचारों का उद्गम होता हैं तथा पुन: समाज में समन्वय स्थापित करने एवं संतुलित संचालन को सुनिश्चित करने हेतु समाज अपने विचारों को वास्तुपरख बनाता हैं।