रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार आत्मा अर्थात मनुष्य की मानसिक चेतना की शाब्दिक प्रस्तुति ज्ञान दशा है, वहीं हृदय की प्रस्तुति रसदशा कहलाती है। स्वयं की संवेदना को प्रकट करने के लिए मनुष्य की वाणी जो शब्द विधान करती है उसे कविता कहते है जिसमें मात्र रस दशा का प्रयोग होता हैं।
मुक्तिबोध , रस सिद्धांत की नई व्याख्या देते हैं, जिसमें बिना संवेदना के हर ज्ञान अधूरा है वही बिना ज्ञान के हर संवेदना अधूरी है, हृदय और आत्मा एक साथ कविता का निर्माण करते हैं। इसी को कविता कहते हैं।